हरिद्वार। कोरोना महामारी के बीच मकर संक्रांति पर स्नान के साथ ही हरिद्वार महाकुंभ का भी श्रीगणेश हो गया है. सुबह-सुबह लोगों ने मकर संक्रांति के मौके पर हरिद्वार में स्नान किया. गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए उत्तर भारत से पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के हरिद्वार पहुंचने की संभावना है. स्नान के लिए हरिद्वार में बड़े स्तर पर व्यवस्था की गई है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में चलते हैं और इसे ही सूर्य की मकर संक्रांति कहा जाता है.
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का समापन हो जाता है और शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है. बता दें कि इस बार कुंभ मेला 48 दिन का ही है. ग्रहों की चाल के चलते इस बार कुंभ 12 के बजाए 11वें साल में पड़ रहा है. 83 साल बाद पहली बार 12 साल से कम समय में कुंभ का योग बना है.
कुंभ पर चार शाही स्नान होंगे. पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि के अवसर पर 11 मार्च को होगा. शाही स्नान के अलावा मकर संक्रांति (14 जनवरी), मौनी अमावस्या (11 फरवरी), बसंत पंचमी (16 फरवरी), माघ पूर्णिमा (27 फरवरी) और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (13 अप्रैल) और रामनवमी (21 अप्रैल) साल के इन छह दिन पर भी स्नान करने के अनुष्ठान को निभाने की परंपरा है.
मकर संक्रांति के दिन हर साल घरों में खिचड़ी बनाने की परंपरा है और इसीलिए इस त्योहार का एक नाम खिचड़ी भी है. इसके अलावा इस त्योहार पर देश के कई हिस्सों में पतंग उड़ाने की परंपरा है और इसलिए इसे पतंग पर्व भी कहा जाता है. मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व हैं.
इससे पहले बुधवार को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हरिद्वार महाकुंभ मेले के इंतजामों से असंतुष्ट होकर राज्य सरकार से कहा कि वो 22 फरवरी तक अधूरे पड़े सभी कामों को पूरा कराए. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने हाई कोर्ट को बताया कि 85 फीसदी काम पूरे कर लिए गए हैं और बाकी काम युद्धस्तर पर चल रहे हैं.